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कोविड मरीज सिर्फ गिलोय घनवटी से 10 दिन में 93.3% तो हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से 66.6% ठीक हुए

(रोहित श्रीवास्तव) पिछले महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के उपयोग की अनुमति दी थी, लेकिन इससे डेढ़ महीने पहले से भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज में गिलोय घनवटी के कोरोना पर असर को लेकर रिसर्च शुरू हो चुका था। इस रिसर्च की रिपोर्ट आ गई है। इसके मुताबिक गिलोय घनवटी कोविड संक्रमण खत्म कर सकती है।

कॉलेज में जुलाई से सितंबर के बीच भर्ती हुए 30 कोविड मरीजों पर पहला क्लीनिकल ट्रायल किया गया था। इन्हें 15-15 की संख्या में ग्रुप ए और बी में बांटा गया। तब सभी का औसत ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 95 था। ग्रुप ए के 15 मरीजों को दिन में दाे बार 500-500 एमजी गिलोय घनवटी दी गई। जबकि ग्रुप बी के मरीजों को पहले दिन 800 एमजी और उसके बाद रोज 400 एमजी हाईड्रोक्सी क्लोरोक्वीन टैबलेट (एचसीक्यूएस) दी गई। इन मरीजों को और कोई दवा नहीं दी गई।

यह अध्ययन गिलोय घनवटी और एचसीक्यूएस के असर को जानने के लिए किया गया। दवा देने के पांचवें दिन सभी की आरटीपीसीआर जांच कराई गई। गिलोय घनवटी ले रहे 66.66% मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई। जबकि ग्रुप बी के 53% मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव रही। पांच दिन बाद फिर कोविड जांच हुई। इस बार घनवटी लेने वाले 93.3% मरीज निगेटिव निकले। एचसीक्यूएस से 66.6% स्वस्थ हुए।

ऐसे काम करती है गिलोय : मरीजों में आईएल- 6 का लेवल 10 दिन में आधा हुआ

  • कोविड मरीजों में संक्रमण बढ़ने के कारण आईएल- 6 का लेवल बढ़ जाता है। इससे मरीज के फेंफड़ों में सायटो काइन स्टार्म की स्थिति बनती है।
  • गिलोय घनवटी से इलाज ले रहे ग्रुप के 15 मरीजों में आईएल- 6 का औसत लेवल 6.50 था। जो 10 दिन बाद घटकर 3.15 हुआ।
  • गिलोय घनवटी से आईएल- 6 का लेवल कोविड मरीज में बढ़ने के बजाय घट गया।
  • अध्ययन में एचसीक्यूएस की अपेक्षा गिलोय घनवटी लेने वाले कोविड मरीज पहले स्वस्थ हुए।
  • किसी भी मरीज में साइड इफेक्ट नहीं मिला। ट्रायल के दौरान सभी ब्लड, लिवर व किडनी की जांचें कराई गई।

इनकी निगरानी में ट्रायल
स्टडी रिपोर्ट को बीते सप्ताह कॉलेज प्राचार्य एवं क्लीनिकल ट्रायल प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर डॉ. उमेश शुक्ला ने सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद साइंस को भेजा। सीटीआरआई ने डॉ. शुक्ला, नितिन उज्जालिया, डॉ. पंकज गुप्ता एवं पैथोलॉजिस्ट डॉ. विवेक खरे को को-इनवेस्टीगेटर बनाया था।



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प्रतीकात्मक फोटो


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