भावसार क्षत्रिय समाज के श्री सिद्धनाथ मंदिर परिसर में चल रहे खप्पर महोत्सव में दूसरे दिन महानवमी पर महाकाली की सवारी निकाली। गरबियों से आराधना हुई। शेर पर सवा महाकाली ने रौद्र रूप दिखाया। माताजी का गुस्सा देख भक्तों ने जयकारे लगाए। समाज के डॉ. मोहन भावसार ने बताया कि 402 साल पुरानी परंपरा को पीढ़ियां निभाते आ रही हैं। रविवार अलसुबह 4.30 बजे सवारी निकली। महाकाली शेर पर सवार होकर एक हाथ मे तलवार और दूसरे हाथ में जोगनी नरमुंड लेकर आईं।
बाद में भगवान नृसिंह की सवारी आई। सुबह 6 बजे राक्षस हिरण्यकश्यप का वध किया। महाकाली लाला जगदीश भावसार, नृसिंह भगवान अभिषेक नंदकिशोर भावसार व हिरण्कश्यप उदित संतोष भावसार ने रूप धारण किया। इसके अलावा श्रीगणेश, हनुमानजी, भूत-पिशाच आदि के स्वांग में आयुष भार्गव, प्रीत भार्गव ने रचा। इस दौरान गोविंद भावसार, हेमंत भावसार, राधेश्याम भावसार, मनोहर भावसार मुनू, पवन भावसार, भोला भावसार, गौरव भावसार अप्पु, पंकज भावसार, नीरज भावसार, मनोज भावसार, प्रीत भावसार, अनिल धारे, हरीश गोस्वामी सहयोगी थे।
मां अंबे की अगवानी में प्रस्तुत किए गरबिये
खप्पर के दौरान सुर व साज में मोहन बादशाह, राजू भावसार, जगदीश भावसार, सोनू बादशाह, राम भावसार, कान्हा गबु भावसार, धर्मेंद्र भावसार लाला, श्याम भावसार, शैलेंद्र भावसार, निखिल भावसार, अनुज भावसार, अज्जू भावसार, रितिक धारे, शुभ भावसार, वैभव भावसार, सौरभ भावसार, रिषी भावसार, आदित्य भावसार आदि ने झांझ व मृदंग पर गरबियों की प्रस्तुतियां दी।
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