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अच्छाई के लिए आगे बढ़ेंगे तो निंदा होगी ही : पं. शर्मा

रामलीला मैदान गंज में श्रीकृष्ण पंजाब सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित श्रीराम कथा के तीसरे दिन रविवार पंडित सुखदेव शर्मा ने अवतार के कारण एवं राम जन्म की कथा सुनाई। पंडित शर्मा ने कथा में पुरुषोत्तम श्रीराम की लीलाओं का जीवंत वर्णन किया। कथा के दौरान पंडित सुखदेव शर्मा ने भगवान शिव, माता पार्वती की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि शिवजी के कंठ में विष है, माता पार्वती ने राम जी के अवतार लीला श्रवण करना चाहा, उन्होंने श्रोताओं को बताया शिव जी कंठ में विष रखकर प्रेम अमृत मई कथा सुनाते हैं।

इसलिए जो वक्ता हो उसे सबसे पहले निंदा सहन करनी पड़ेगी, वक्ता को विष पीना ही पड़ेगा, अच्छाई के लिए आगे बढ़ेंगे तो निंदा होगी ही। इसका उदाहरण देते हुए पंडित शर्मा ने कहा कितना भी सुंदर खाना खाओ, ब्यूटी पार्लर जाओ लेकिन सुंदर आपकी सहनशीलता, तपस्या से ही दिखाई देगी।

श्रीराम कथा में आज : बाल लीला के साथ ताड़का वध, अहिल्या उद्धार, पुष्प वाटिका, धनुष भंग की कथा सुनाई जाएगी। समिति ने बताया 16 से 25 अक्टू. तक प्रतिदिन शाम 7 से 9 बजे तक राम कथा होगी।

बच्चे अपराधी नहीं हैं, अपराधी वह हैं जिन्होंने बच्चे को धन ज्यादा दे दिया

उन्होंने बताया जिन लोगों के पास पिता, दादा की संपत्ति होती है वह भजन नहीं कर पाते। फिर उनके बच्चे पिता की दुकान नहीं आते, सुबह से पिताजी बैठे रहते हैं। इसी प्रकार बड़ी खेती वाले किसान के बच्चे खेती नहीं कर पाते, लेकिन उनका पिता कर कर के मर जाता है और तीसरी पीढ़ी के लोग मजा मारते हैं, फिर उनकी आने वाली पीढ़ी की स्थिति दयनीय हाे जाती है, पंडित शर्मा ने कहा इन सब घटनाक्रम में बच्चे अपराधी नहीं है, अपराधी वह हैं जिन्होंने बच्चे को धन ज्यादा दे दिया है। उन्होंने कहा आप इतना करो कि बच्चे बैठकर ना खाए। उन्होंने धन के सदुपयोग पर बल देते हुए कहा कि धन है, तो धर्मशाला बनवाओ, कथा करवाओ, प्याऊ लगाओ।

कलयुग में पाप के काटने वाली कुल्हाड़ी है श्रीराम कथा

पंडित शर्मा ने कहा तुलसी जी ने लिखा है जिन्होंने कथा नहीं सुनी उनके कान सर्प के रहने का घर है, उनके नेत्र मोर पंख पर दिखने वाली आंख की तरह है। उनका सिर तुमरी के समान जो बहुत कड़वी रहती। भगवान की कथा मंगल के भवन अमंगल को हरण करने वाली है और कलयुग में पाप के काटने वाली कुल्हाड़ी है। भगवान सगुन और अगुन दोनों एक है, बर्फ और पानी में कोई भेद नहीं होता, सर्वव्यापक आकार लेता तो वह अवतार हो जाता, फिर वही निराकार हो जाता है। पंडित शर्मा ने कहा धर्म की स्थापना करो, उन्होंने कहा जो व्यक्ति आश्रम, धर्मस्थल में कब्जा, संतों, माता-पिता को कष्ट दे, गांव देश का अहित चाहे वह असुर है।



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