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मालवा उत्सव नहीं हुआ, जत्रा भी नहीं लगेगा, इनमें होता था सात करोड़ रुपए का कारोबार, 7500 लोगों का चलता था घर-परिवार

शहर में कोरोना संक्रमण के चलते इस बार मालवा उत्सव और जत्रा का आयोजन नहीं हो पाया। इससे शहर में 6 करोड़ रुपए का व्यापार नहीं हो पाया वहीं इससे जुड़े 7500 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। इन दोनों मेलों में पांच लाख से भी ज्यादा लोग पहुंचते हैं। इस बार ये दोनों ही आयोजन शहर में नहीं हो पा रहे हैं। मालवा उत्सव गर्मी की छुटिट्यों में होता था और जत्रा दशहरा से दीपावली के बीच लगाया जाता था। दोनों ही आयोजन हमारी संस्कृति की पहचान थे।

मालवा उत्सव: 250 से ज्यादा कलाकार बाहर से बुलाए जाते

लोक संस्कृति मंच द्वारा हर साल मई में आयोजित मालवा उत्सव में हर राज्य से अलग-अलग टीमें आती थीं, जो सात दिन तक चलने वाले इस सांस्कृतिक आयोजन में भागीदार होती थीं। इनमें प्रस्तुति देने के लिए 250 के करीब तो केवल कलाकार ही आते थे। मालवा के लोक गीत और लोक नृत्य का प्रचार-प्रसार किया जाता था।

समय- 1 मई से 15 मई के बीच 7 दिन का रहता था। {स्थान- लाल बाग पैलेस।
स्टॉल- 700 के करीब स्टॉल।
कुल खर्च- 1 करोड़ के करीब।
कुल व्यापार- 6 करोड़ के करीब।
प्रभावित लोग- कुल स्टॉल लगाने वाले 1000 परिवार और उनके कुल 5000 के करीब सदस्य जुड़ते थे।
ये स्टॉल लगते थे - हैंडी क्राफ्ट, फूड जोन, वाहन बिक्री, शिल्पकार, खिलौने, शिल्प मेला।
आयोजन- सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होती थीं। इसके लिए हर राज्य से 250 के करीब कलाकार आते थे।

जत्रा: मराठी संस्कृति की दिखती झलक, महाराष्ट्र से आते कलाकार

मराठी सोशल द्वारा आयोजित किए जाने वाले इस जत्रा में मूल रूप से मराठी व्यंजनों और संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जाता था। इसे दशहरे से दीपावली के बीच ही आयोजित किया जाता था। इस आयोजन का मूल आकर्षण का केंद्र लावणी नृत्य रहता था। इसके लिए महाराष्ट्र से विशेष तौर पर कलाकार बुलाए जाते थे। समय- दशहरे से दीपावली के बीच। 3 दिन का रहता था।

स्थान- गांधी हॉल।
स्टॉल- 150 के करीब स्टॉल।
कुल खर्च- 15 लाख के करीब।
कुल व्यापार- 1 करोड़ के करीब।
प्रभावित लोग- कुल स्टॉल लगाने वाले 250 परिवार और उनके कुल 2500 के करीब
सदस्य जुड़ते थे।
ये स्टॉल लगते थे - हैंडी क्राफ्ट, घर में सजावट के आयटम, कमर्शियल स्टॉल, फूड स्टॉल।
आयोजन- आकर्षण का केंद्र लावणी नृत्य रहता था। महाराष्ट्र से कलाकार बुलाए जाते थे।



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फाइल फोटो


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