कोरोना वायरस (कोविड-19) के मरीजों में यदि लक्षण नहीं हैं तो तीन दिन में डिस्चार्ज किया जा रहा है। वहीं अस्पतालों में भर्ती मामूली लक्षण वाले मरीजों को भी 10 दिन के पहले ही घर भेजा जा रहा है, लेकिन उनमें से किसी की दोबारा जांच नहीं की जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि सिर्फ आईसीयू में भर्ती मरीज की ही दोबारा जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, होम आइसोलेशन में भी 17 दिन बाद मरीज पूरी तरह से फ्री हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग का अमला इसके लिए उसकी दूसरी बार जांच नहीं करवाता, जबकि कई मामलों में मामूली खराश या बदन दर्द बना रहता है। मरीज पूरी तरह कोविड मुक्त हुआ या नहीं, यह पता लगाए बिना उसे डिस्चार्ज किया जा रहा है।
जब अस्पताल के डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों से बात की तो उनका कहना था कि प्रशासन की तरफ से हमें सिर्फ आईसीयू में भर्ती मरीज की दोबारा जांच कराने के निर्देश हैं। अन्य मरीजों को जांच किए बिना ही डिस्चार्ज कर रहे हैं।
आइसोलेशन के बाद भी जांच कराने जा रहे बाहर
होम आईसोलेशन के नियमों के तहत 17 दिन तक मरीज को घर में ही रहना है लेकिन बीमारी के डर में मरीज खुद दोबारा जांच के लिए बाहर घूम रहा है लेकिन इस पर विभाग की कोई निगरानी नहीं है। इतना ही नहीं मरीज सीटी स्कैन कराने के लिए सेंटरों पर भी जा रहे हैं। दस दिन की अवधि होने के बाद परिवार के बीच जाने के पहले मरीज निश्चिंत होना चाहता है कि उसे कोविड नहीं है।
कई पॉजिटिव आए, फिर तीसरी जांच क्यों नहीं
आईसीयू में जिंदगी से संघर्ष कर रहे मरीज की दो-तीन दिन में ही दूसरी बार कोविड जांच करवा ली जाती है और निगेटिव आने पर उसे नॉन-कोविड वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। गंभीर स्थिति के बावजूद उसे निगेटिव माना जा रहा है लेकिन निगेटिव आने के बाद तीसरी बार जांच नहीं कराई जा रही है जबकि पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब एक ही दिन में मरीज की जांच रिपोर्ट अलग-अलग आई।
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