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पहली बार 10 फीट ऊंचे अकेले रावण के पुतले का दहन, लोगों ने लाइव प्रसारण देखा

दशहरा पर पहली बार एेसा हुआ की नगर पालिका ने 10 फीट ऊंचे अकेले रावण के पुतले का दहन किया। वहीं लोग भी दशहरा मैदान पहुंचकर पुतला दहन नहीं देख पाए। लाइव प्रसारण से ही संतुष्ट होना पड़ा। हालांकि पुतला दहन के दौरान पहले जैसी ही परंपरा निभाई गई। इस दौरान नगर पालिका अधिकारी, कर्मचारियों के साथ कुछ शहर के प्रमुख लोग ही मौजूद थे।
नगर पालिका अधिकारियों ने बताया 1954 में बड़वानी नगर पालिका बनी थी। तभी से नगर पालिका के माध्यम से पुतला दहन करने की परंपरा चली आ रही है। लेकिन उस समय पर 10 फीट से ज्यादा ऊंचाई के पुतले का दहन किया जाता था। पिछले कुछ सालों से 50 फीट से भी ज्यादा ऊंचाई के पुतले का दहन किया जा रहा था। लेकिन इस बार कोरोना काल की वजह से पुतला दहन छोटे रूप में हुआ। कालिका माता मंदिर से श्रीराम की शोभायात्रा (चल समारोह) की शुरुआत हुई। जोे चंचल चाैराह होते हुए दशहरा मैदान पहुंची। यहां पर श्रीराम ने रावण के पुतले पर धनुष चलाकर परंपरा निभाई। शाम करीब 6.15 बजे रावण के पुतले का दहन किया गया। जो महज तीन मिनट में ही जलकर खाक हो गया।

चारों तरफ से बंद किए थे मैदान तक जाने के रास्ते
दशहरा मैदान पर लोगों की भीड़ न हो। इसको लेकर चंचल चौराहा, भारुड़ मोहल्ला, बंधान रोड सहित आसपास के सभी मार्गों पर पुलिस जवान तैनात किए गए थे। जिन्होंने जनता को मैदान तक जाने से रोका। मैदान में जगह-जगह पुलिस जवान तैनात थे। हालांकि मैदान किनारे लोगों को पुलिस ने खड़ा रहने दिया।

इधर... राजघाट जाने से रोका, मंडी के पास एकत्रित की मूर्तियां, पुराने फिल्टर प्लांट के कुंड में किया विसर्जन
शहर के अलग-अलग स्थानों पर पंडालों में स्थापित की गई मूर्तियों का रविवार को विसर्जन किया गया। लेकिन किसी को भी राजघाट नहीं जाने दिया गया। कृषि उपज मंडी के पास पुलिस तैनात रही और मूर्तियों को वाहन में एकत्रित किया गया। जिन्हें बाद में कर्मचारियों ने पुराना फिल्टर प्लांट पर बने कुंड में विसर्जित किया। शहर में सुबह 8 बजे से ही श्रद्धालु मूर्ति विसर्जन के लिए पहुंचने लगे थे। देर शाम तक ये सिलसिला चलता रहा। वहीं कुछ लोग सोमवार को मूर्ति विसर्जन करेंगे। हालांकि अधिकांश आयोजनकर्ताओं ने रविवार को ही मूर्ति विसर्जन किया।

ये परंपरा टूटी
दशहरा मैदान पर इस साल आतिशबाजी हुई और न 50 हजार से ज्यादा लोग पुतला दहन देखने पहुंचे। रावण के साथ मेघनाद और कुंभकरण के पुतले भी नहीं दिखे। कलेक्टर शिवराजसिंह वर्मा, एसपी निमिष अग्रवाल, सांसद गजेंद्रसिंह पटेल, नपाध्यक्ष लक्ष्मण चौहान सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

ये व्यवस्था रही
दशहरा मैदान पर पुतला दहन करने के लिए चारों तरफ से बल्लियों का घेरा बनाया गया था। प्रकाश व्यवस्था के लिए 50 से ज्यादा बड़ी और इतनी ही छोटी हैलोजन लगाई गई थी। धूल न उड़े। इसलिए मैदान की सफाई कराने के साथ ही पानी का छिड़काव कराया गया था।



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For the first time, a 10-foot-high effigy of Ravana's effigy alone was seen live by the public.


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