कलह को टलने का सरल उपाय है मौन, संत कहते है मौनेह कलहो नास्ति, मौन धारण करने से कलह नहीं होती। जहां कही भी कलह की संभावना दिखे। वहां मौन धारण कर लेना चाहिए। क्योंकि उस परिस्थिति में कुछ भी बोलना आग में घी डालना है। जबकि उस समय मौन धारण किया गया मौन शीतल जल का काम करता है। ये बात प्रवचनों को दौरान आर्यिका विदक्षाश्री माता जी ने कही।
सिद्ध क्षेत्र बावनगजा में मुनिश्री अध्ययन सागर महाराज और आर्यिका विदक्षाश्री माता का चातुर्मास चल रहा है। इसके तहत रोजाना प्रवचनों का आयोजन किया जा रहा है। प्रवचनों के दौरान बताया गया कि कोई व्यक्ति कितना भी झगड़ने के मूड में हो। यदि उसकी कोई बात का जबाव न दिया जाए तो अपने आप शांत हो जाएगा। आखिर वो अकेला कब तक लड़ेगा।
संत कहते है कि कलह की परिस्थिति में मौन धारण करने से चित्त शांत होता है। चित्त शांति से चिंतन में मोड आ सकता है। मौन धारण करना सबसे अच्छा तरीका है। जो बात वचनों से नहीं बन सकती। वह मौन से सध सकती है। बोलना स्वर्ण है, किंतु स्वर्ण निर्मित सुंदर आभूषण है। वाद-विवाद करने से मनुष्य-मनुष्य में कलह हो जाता है। कटुता बढ़ती है। यदि सब को सहता हुआ मनुष्य यदि मौन धारण कर ले तो वह निश्चिंत होकर जीवन जी सकता है।
बावनगजा में स्थापित हुई जाप बैंक
सिद्ध क्षेत्र बावनगजा में जाप बैंक स्थापित की गई है। इस दौरान मुनिश्री और आर्यिकाश्री ने बताया कीमती समय को व्यर्थ न गवाए, प्रभु के नाम का सुमरण करें। ज्यादा से ज्यादा प्रभु की माला फेरे। सभी को प्रेरित करें। पापों से बचे और बचाए। समय प्रभु की आराधना में लगाए। रोजाना जाप करने से मन पवित्र व उर्जावान हो जाता है। पापों से बचने का एक मात्र उपाय है, प्रभु मंत्र जाप। जब भी समय मिले, सुबह,दोपहर या शाम प्रभु के नाम मंत्र से ही हो जीव का श्रवण धाम। ईश्वर को याद करना, ईश्वर की भक्ति में मन लगाना, निकट आ जाना, यह दुर्लभ प्राणियों द्वारा ही संभव है। जो प्रभु का हो जाता है, दुख उससे कोसो दूर भाग जाते है।
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from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kX1DfT September 28, 2020 at 04:46AM https://ift.tt/1PKwoAf
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