आज का इतिहास बेहद खास है। कश्मीर भारत में रहेगा या पाकिस्तान में जाएगा? इस प्रश्न का जवाब आज ही मिला था। 91 साल पहले 1929 में महान क्रांतिकारी भगत सिंह के साथी जतिन दास ने लाहौर जेल में भूख हड़ताल के दौरान दम तोड़ दिया था। वहीं, जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में आज ही के दिन प्रस्ताव दिया था कि 40 लाख हिंदुओं और मुसलमानों का पारस्परिक ट्रांसफर किया जाए।
सबसे पहले बात, कश्मीर की। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर भारत और पाकिस्तान आज भी आमने-सामने रहते हैं। लॉर्ड माउंटबेटन के राजनीतिक सलाहकार रहे वीपी मेनन की किताब 'इंटिग्रेशन ऑफ द इंडिया स्टेट्स' में लिखा है कि भारत की आजादी से दो महीने पहले तक लॉर्ड माउंटबेटन ने कश्मीर के राजा महाराजा हरी सिंह से कहा था कि यदि वे पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला करते हैं, तो भारत कोई दखल नहीं देगा।
वहीं, सरदार पटेल के राजनीतिक सचिव रहे वी. शंकर ने "माय रेमिनिसेंसेज ऑफ सरदार पटेल' में लिखा, '13 सितंबर 1947 की सुबह पटेल ने रक्षा मंत्री बलदेव सिंह को चिट्ठी लिखी कि कश्मीर चाहे तो पाकिस्तान में शामिल हो सकता है। हालांकि, उसी दिन पटेल को जब पता चला कि पाकिस्तान ने जूनागढ़ के विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है, तो वे भड़क गए।
उनका कहना था कि यदि पाकिस्तान, हिंदू बहुल आबादी वाले मुस्लिम शासक के जूनागढ़ को अपना हिस्सा बना सकता है तो भारत, मुस्लिम बहुल आबादी वाले हिंदू शासक के कश्मीर को क्यों नहीं ले सकता? उस दिन से कश्मीर पटेल की प्राथमिकता बन गया था। खैर, आज की हकीकत यह है कि जूनागढ़ और कश्मीर भारत के पास है। कश्मीर के कुछ हिस्से पर जरूर पाकिस्तान का कब्जा है।
सरदार पटेल के आदेश पर हैदराबाद में सेना घुसी थी
आजादी के बाद जूनागढ़ और कश्मीर के साथ-साथ एक और पेंच था हैदराबाद का। हैदराबाद का निजाम स्वतंत्रता चाहता था। उसने पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपए का कर्जा भी दिया था। लेकिन, सरदार पटेल चाहते थे कि हैदराबाद का भारत में विलय हो। ऊपर से निजाम ने संयुक्त राष्ट्र जाने की धमकी भी दे रखी थी। सरदार पटेल के आदेश पर 13 से 18 सितंबर 1948 तक ऑपरेशन पोलो चला।
13 सितंबर को 36 हजार भारतीय सैनिक हैदराबाद में पश्चिम, दक्षिण और उत्तर से घुसे थे। भारत ने इसे पुलिस एक्शन कहा ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लगे कि यह भारत का अंदरुनी मसला है। 18 सितंबर तक निजाम भारत में हैदराबाद के विलय के लिए राजी हो गया था।
जतिंद्र नाथ दास ने आजादी के लिए दे दी जान
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को हम शहीद दिवस के तौर पर याद करते हैं। लेकिन, उनके ही साथी थे- जतिंद्र नाथ दास, जिन्हें जतिन दा भी कहा जाता था। 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिंद्र नाथ 16 साल की उम्र में ही आजादी के आंदोलन से जुड़ गए थे। दक्षिणेश्वर बम कांड और काकोरी कांड के सिलसिले में 1925 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
सबूत नहीं थे, इस वजह से मुकदमा नहीं चला, पर उन्हें नजरबंद रखा गया। लाहौर असेंबली में बम फेंकने के मामले में भगत सिंह के साथियों के साथ ही जतिन दा भी पकड़े गए थे। जेल में अव्यवस्था के खिलाफ क्रांतिकारियों ने जतिन दा के नेतृत्व में 13 जुलाई 1929 को अनशन शुरू किया। उनका अनशन खत्म करने की हर कोशिश की गई, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए।
हड़ताल के 63वें दिन जतिन दास के कहने पर एक साथी ने ‘एकला चलो रे’ और फिर ‘वन्दे मातरम्’ गाया। यह गीत पूरा होते ही जतिन दा ने 13 सितंबर 1929 को सिर्फ 24 साल की उम्र में दुनिया से विदा ले ली।
इतिहास में आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है-
- 1791: फ्रांस के राजा लुई 14वें ने नया संविधान लागू किया।
- 1882: एंग्लो-मिस्र युद्ध: तेल अल केबिर की लड़ाई लड़ी गई।
- 1914ः प्रथम विश्व युद्ध: जर्मनी और फ्रांस के बीच एस्ने की लड़ाई शुरू हुई।
- 1922: लिबिया के एल अजिजिया में धरती पर उच्चतम तापमान दर्ज किया गया। उस समय छाया में नापा गया तापमान 58 डिग्री सेल्सियस था।
- 1923: स्पेन में सैन्य तख्ता पलट। मिगेल डे प्रिमो रिवेरा ने सत्ता संभाली और तानाशाह सरकार की स्थापना की। ट्रेड यूनियनों को 10 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया।
- 1947: भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने 40 लाख हिंदूओं और मुसलमानों के पारस्परिक स्थानांतरण का सुझाव दिया।
- 1948ः उप-प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने सेना को हैदराबाद में घुसकर कार्रवाई करने का आदेश दिया। हैदराबाद के भारत में विलय का आदेश दिया।
- 2000: भारत के विश्वनाथन आनंद ने शेनयांन में पहला फ़िडे शतरंज विश्व कप जीता।
- 2002: इजरायल ने फिलिस्तीन अधिकृत गाजा पट्टी पर हमला किया।
- 2007: नासा के वैज्ञानिकों ने बृहस्पति से तीन गुना बड़े ग्रह का पता लगाया।
- 2008: दिल्ली में तीन स्थानों पर 30 मिनट के अंतराल पर चार बम विस्फोट हुए। इनमें 19 लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल।
- 2009: चन्द्रमा पर बर्फ खोजने का इसरो-नासा का अभियान असफल हुआ।
- 2013: तालिबान आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के हेरात में अमेरिका के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया।
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