स्वतंत्रता दिवस को लेकर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को लाल किले की प्राचीर से तिरंगा लहराएंगे, इसलिए वहां ज़मीन से आसमान तक पुलिस का कड़ा पहरा रहेगा। लाल किले की सुरक्षा पांच लेयर में होगी, जहां एनएसजी के स्नाइपर, एलीट स्वात कमांडो और काइट कैचर्स की टीम तैनात रहेगी।
चप्पे चप्पे पर लगाये गए सीसीटीवी कैमरे से मॉनीटरिंग की जाएगी। 300 से ज्यादा कैमरे और 4 हजार सुरक्षाकर्मी की यहाँ तैनाती रहेगी। 15 अगस्त की सुबह 6.45 से 8.45 तक लालकिले के आसपास से गुजरने वाली सड़क पर आवाजाही पूरी तरह से बंद रहेगी।
मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में होगा कार्यक्रम
भोपाल में स्वतंत्रता दिवस का मुख्य कार्यक्रम शनिवार को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में होगा। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुबह 9 बजे ध्वजारोहण करेंगे। कोरोना के असर के चलते आमंत्रित लोगों को ही प्रवेश मिलेगा। 400 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। सुबह 8:30 बजे सीएम भारत माता की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। लाल परेड ग्राउंड की ओर जाने वाले रास्तों पर सुबह 7 बजे से ट्रैफिक डायवर्ट रहेगा।
जलस्तर घटते ही भारत के नक्शे-सा नजर आता है महीगांव तालाब
इंदौर के रालामंडल अभयारण्य से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है महीगांव तालाब। बारिश, सर्दी में तो किसी सामान्य तालाब की तरह दिखता है, लेकिन मार्च-अप्रैल में जब जल स्तर कम होने लगता है तो इसका आकार बहुत हद तक भारत के नक्शे जैसा नजर आता है। कोरोना के चलते अभी यहां प्रशासन और वन विभाग द्वारा पर्यटकों को नहीं आने दिया जा रहा है।
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का रखा ध्यान
आजादी के रंगों में एक रंग यह भी है। जहाँ न कोई बंधन है, न किसी तरह की रोक टोक। तस्वीर भले ही बचपने की हो लेकिन बड़ों को भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी सीख देती है।
मास्क और दूरी से ही मिलेगी कोरोना से आजादी
हर साल 15 अगस्त पर स्कूल-कॉलेजों में आजादी के फंक्शन होते थे, लेकिन इस बार सब बदला हुआ है। कोरोना की वजह से हर छोटे-बड़े प्रोग्राम कैंसिल हैं। इस बार लोग अपने घरों पर ही भारत का झंडा फहराएंगे। शुक्रवार को चंडीगढ़ के सेक्टर-35 में किसान भवन के पास कुछ लड़कों का ग्रुप झंडे बेच रहा था। इन लड़कों ने मास्क लगा रखे थे और उचित दूरी भी बना रखी थी। यह सभी के लिए एक मैसेज भी है, क्योंकि मास्क और उचित दूरी रखकर ही हम कोरोना वायरस से आजादी पा सकते हैं।
रोशनी से जगमगाया महाकाल परिसर
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर रंग-बिरंगी आकर्षक रोशनी से नहा उठा। शिखर पर तिरंगे जैसी रोशनी की गई। मंदिर के परिसर के अन्य हिस्सों तक को रोशनी से सजाया गया। इससे पूरा परिसर आकर्षक दिखाई दिया। प्रशासक एसएस रावत के अनुसार मंदिर और परिसर में लेड फिक्सिंग लाइटिंग की गई है। स्मार्ट सिटी कंपनी के माध्यम से मंदिर में इसी तरह की विद्युत सज्जा की जाएगी। इसके लिए टेंडर निकाले गए हैं।
जयपुर में सड़कें बनी तालाब, तैरने लगी कारें
राजस्थान की राजधानी जयपुर में शुक्रवार को जोरदार बारिश हुई। शहर में 10 घंटे में 7 इंच से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई। शहर की कई सड़कों पर गर्दन तक पानी भरा हुआ है। लगातार तेज बारिश में फंसे हुए लोगों को अपने वाहन सड़कों पर छोड़ने पड़े। पानी का बहाव इतना तेज था कि उसमें कारें बहती नजर आईं। प्रशासन सिविल डिफेंस की टीमों के साथ 13 इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है कि शहर और राज्य के कुछ जिलों में एक-दो दिन और भारी बारिश हो सकती है। ऐसे में मुश्किलें और बढ़ने की आशंका है।
जोगियो ढाणी का एनीकट टूटा
भारी बारिश ने जयपुर को पहले तो डुबोया फिर मिट्टी में दबा दिया। सबसे ज्यादा असर जयसिंहपुरा खोर में दिखा। यहां जोगियों की ढाणी स्थित एनीकट टूटने से पानी और मिट्टी का सैलाब आ गया। कई कॉलोनियों में घरों के बाहर खड़े वाहन नदी बन गई सड़कों में बह गए। ऐसे 250 से ज्यादा वाहन बताए गए हैं। दिल्ली रोड पर भू-स्खलन होने के कारण सड़क अवरूद्ध हो गई। मलबा हटाने की कार्यवाही जारी है। गिरधारीपुरा बस्ती, मनोहरपुरा बस्ती, बगराना बस्ती, जयसिंहपुरा रोड-भांकरोटा में यह बारिश बाढ़ बनकर आई।
लिंबायत सहित 4 इलाकों में सैकड़ों घर डूबे
सूरत शहर में एक दिन में साढ़े 5 तो जिले के मांगरोल में 8 इंच बारिश हुई। तीसरी खाड़ी सीमाड़ा के भी ओवर फ्लो होने से बाढ़ के हालात बन गए। लिंबायत सहित चार इलाकों में सैकड़ों घर, बाजार, सड़कें, सोसाइटियां डूब गईं। वर्ष 2006 के साल बाद पहली बार ऐसे हालात बने हैं। मीठी खाड़ी शुक्रवार को 14 साल बाद 9 मीटर के ऊपर बही। 270 लोगों को रेस्क्यू कर 752 को स्थानांतरित करना पड़ा।
जवानों ने रस्सा बांध पार कराया
सुकमा जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के चलते नदी-नाले उफान पर हैं। शनिवार की शाम को मलगेर नाला उफान पर होने से ग्रामीण नाले को पार नहीं कर पा रहे थे। जैसे ही इसकी जानकारी सीआरपीएफ की सी कंपनी की टू बटालियन को लगी तो वे मौके पर पहुंचे। इसके बाद जवानों ने रस्सी की मदद से मनियापारा, पखनागुड़ा और माड़भाटा के 400 से अधिक ग्रामीणों को नाला पार कराया।
ग्रामीणों ने कहा सुबह मलगेर नाले में पानी का बहाव काफी कम था, जिसके चलते वे सरकारी दुकान से राशन लेने और अन्य सामान खरीदने बच्चों के साथ गादीरास आए थे, लेकिन देर शाम अचानक नाले में पानी का बहाव तेज हो गया। हादसे की आशंका के चलते वे नाला पार नहीं कर पा रहे थे। घर तक पहुंचना था। हमें घर तक पहुंचाने की जवाबदेही जवानों ने उठाई और हमें नाला पार करवाया।
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