देश में कोरोनावायरस आने के साथ से ही स्कूल-कॉलेज बंद हैं। अब टीचर्स और स्टूडेंट्स दोनों ऑनलाइन क्लासेज पर निर्भर हैं। हालांकि, डिवाइस के जरिए क्लासेज को शुरू करना जितना आसान सुनने में लगता है, दरअसल यह उतना आसान है नहीं। लगातार ऑनलाइन क्लासेज से टीचर्स, बच्चे और पैरेंट्स कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं। यूनेस्को की रिपोर्ट बताती है कि कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर में 100 करोड़ से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। जबकि, अकेले भारत में यह आंकड़ा 32 करोड़ 7 लाख 13 हजार 810 है।
भोपाल की रहने वाली प्रीति दुबे एक कॉलेज में टीचर होने के साथ-साथ 11 साल की बच्ची की मां भी हैं। प्रीति बताती हैं कि आजकल उनकी बेटी भी ऑनलाइन क्लासेज कर रही है, लेकिन जो सब्जेक्ट उसे समझ नहीं आता, वो उससे बचने की कोशिश करती है और पैरेंट्स से सीखने का वादा करती है। ऐसे में मुझे अपने काम के साथ-साथ बेटी की पढ़ाई पर भी ध्यान देना पड़ रहा है, इससे कई बार तनाव का सामना करना पड़ता है।
प्रीति कहती हैं "ऑनलाइन क्लासेज से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं, क्योंकि क्लास के मुकाबले बच्चे ऑनलाइन लर्निंग में पूरी तरह फोकस नहीं कर पाते।" हालांकि वे माहौल सामान्य होने तक ऑनलाइन क्लासेज का ही समर्थन करती हैं।
बच्चे किस तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं?
- राजस्थान के कोटा में न्यूरो साइकैट्रिस्ट और काउंसलर डॉक्टर नीना विजयवर्गीय के अनुसार, बच्चे अपने साथियों और दूसरे लोगों के साथ फेस टू फेस मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें क्लासरूम जैसी गंभीरता और माहौल नहीं मिल रहा है। ऐसे में उन्हें क्लास के साथ कनेक्ट होने में परेशानी हो रही है।
- आम परेशानियों के अलावा ऑनलाइन क्लासेज के साथ कई तकनीकी दिक्कतें भी जुड़ी हुई हैं। डॉ. विजयवर्गीय के मुताबिक, ऑडियो-वीडियो की परेशानी, छोटा स्क्रीन साइज, कमजोर नेटवर्क, डिस्टरबेंस, डिवाइस की कमी जैसी परेशानियों का सामना बच्चे रोज कर रहे हैं।
- अहमदाबाद में साइकैट्रिस्ट और काउंसलर डॉ. ध्रुव ठक्कर कहते हैं "एजुकेशन और आईटी सेक्टर दोनों के साथ ही परेशानियां हो रही हैं, क्योंकि वर्क फ्रॉम होम शुरुआत में तो ठीक रहा, लेकिन बिना लोगों से मुलाकात के यह बोरिंग होता गया। सबसे पहला फ्रस्ट्रेशन यही है।"
पैरेंट्स हो रहे तनाव का शिकार
- प्रीति बताती हैं "क्लासेज के दौरान छोटे बच्चों के साथ पैरेंट्स को बैठना पड़ता है। इसके अलावा जॉब के साथ-साथ बच्चों के साथ काम करना मुश्किल हो रहा है। डाउट्स के लिए बच्चे पैरेंट्स के ऊपर निर्भर हो रहे हैं और जब डाउट नहीं सुलझ सकते तो बच्चों की एजुकेशन का ही नुकसान होता है।'
- डॉक्टर विजयवर्गीय कहते हैं कि माता-पिता को एग्जाम और सिलेबस की ज्यादा चिंता है। इसके अलावा पैरेंट्स की गैरमौजूदगी में बच्चे पढ़ाई छोड़कर गलत चीजें देखने लगते हैं। ऐसे में पैरेंट्स उनकी ऑनलाइन एक्टिविटीज को मॉनिटर करना होगा।
5 टिप्स जो पढ़ाई, नौकरी और रिश्तों को बेहतर बनाने में मदद करेंगे-
1. समझें और सपोर्ट करें: चीजों को आपस में समझना जरूरी है। क्लासेज और जॉब्स के दौरान घर में अच्छा माहौल तैयार करें और हर चीज में एक-दूसरे को सपोर्ट करें। ऐसा करने से आपके काम और स्वास्थ्य दोनों ही प्रभावित नहीं होंगे।
2. लाइफस्टाइल और शेड्यूल: काम के बोझ से बचने के लिए अपना एक शेड्यूल तैयार करें और अपने पसंदीदा चीज को भी वक्त दें। इसके अलावा अच्छी और हेल्दी लाइफस्टाइल चुनें, ताकि आप तनाव और घबराहट से बच सकें। भरपूर 8 घंटे की नींद, संतुलित डाइट और पानी पीते रहें। सुबह-शाम एक्सरसाइज को वक्त दें।
3. ब्रेक: बच्चे और माता-पिता काफी ज्यादा वक्त सोशल मीडिया पर गुजार रहे हैं। ऐसे में यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। एक्सपर्ट्स मोबाइल को एडिक्शन की तरह मानते हैं। ऐसे में सोशल मीडिया और दूसरे स्क्रीन टाइम को भी कम करें।
4. केवल जरूरी चीजों पर ध्यान: यह समय पहले ही काफी ज्यादा तनाव से भरा हुआ है। ऐसे में वर्किंग शेड्यूल से अपने लिए वक्त निकालने की कोशिश करें। इसके लिए केवल जरूरी चीजों पर ही ध्यान देने की कोशिश करें और गैरजरूरी काम से बचें। हां, जरूरी काम में कोई टालमटोल न करें।
5. स्वास्थ्य का ध्यान: स्क्रीन टाइम बढ़ने के कारण बच्चे और माता-पिता हेल्थ प्रॉब्लम्स का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में अपनी हेल्थ का ध्यान रखें। उदाहरण के लिए ऑनलाइन क्लास ले रहे बच्चे और घर से ही दफ्तर का काम निपटा रहे पैरेंट्स को समय-समय पर आंखों की जांच करानी चाहिए।
पैरेंट्स बच्चों को सब्जेक्ट पढ़ाएं
कई बच्चों को रिसोर्सेज की कमी या स्लो नेटवर्क जैसी अलग-अलग परेशानियों के कारण अपनी पढ़ाई जारी रखने में मुश्किल हो रही है, जबकि शिक्षा जारी रहे यह बहुत जरूरी है। डॉ. ठक्कर कहते हैं कि अगर हो सके तो पैरेंट्स बच्चों को सब्जेक्ट पढ़ाएं। अगर बच्चा पढ़ने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है तो उन्हें आर्ट और क्राफ्ट जैसी नई चीजें भी सिखाएं जो वे सीखना चाहते हैं।
शिक्षक भी कर रहे परेशानियों का सामना
- मई में आईं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ दसवीं क्लास के स्टूडेंट्स ने क्लास के दौरान अश्लील वीडियो चला दिए थे और टीचर्स पर भद्दे कमेंट्स किए थे। इसके अलावा टीचर्स स्टॉकिंग का भी सामना कर रहे हैं।
- डॉ. विजयवर्गीय बताती हैं कि टीचर्स भी इस सिस्टम के आदी नहीं होने के कारण डरे हुए हैं और वे ऑनलाइन क्लासेज के दौरान आत्मविश्वास महसूस नहीं कर पा रहे हैं। बच्चे भी स्क्रीन पर होने का कारण न तो टीचर्स की बात मान रहे हैं और न ही शिष्टाचार अपना रहे हैं। कुछ बहाने बनाकर क्लासेज से बचने की कोशिश करते हैं।
- लगातार बन रहे अजीब और नेगेटिव माहौल के कारण टीचर भी तनाव में आ जाते हैं। डॉ. ठक्कर कहते हैं कि "यह मजबूरी है हमारे पास कोई चॉइस नहीं है। हमें इन हालात को मानना होगा, क्योंकि आप इसे बदल नहीं सकते। यह अस्थाई है परमानेंट नहीं। कुछ महीनों के लिए आपको सहनशीलता बनानी होगी।'
- डॉ. ठक्कर कहते हैं कि 'बच्चों के साथ थोड़ी बातचीत और एंटरटेनमेंट करें। बच्चों को संभालना चुनौती है, लेकिन क्रिएटिविटी की मदद ले सकते हैं। जैसे ब्रेक या गेम और इसमें बच्चों के साथ-साथ पैरेंट्स को भी शामिल करें।"
- एक टीचर ने ऑनलाइन क्लास में स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट बनाए रखने के लिए क्लास का समय कम कर दिया है। पहले जहां एक क्लास करीब 35 मिनट की होती थी, अब यह कम होकर 20 मिनट की हो गई है। इस दौरान बच्चों से बातचीत भी की जाती है।
परेशान टीचर वीडियो क्लासेज का सहारा ले सकते हैं
डॉ. विजयवर्गीय के अनुसार, अगर टीचर लाइव क्लासेज में ज्यादा परेशानी महसूस कर रहे हैं तो वे वीडियो क्लास की मदद ले सकते हैं। टीचर्स टू वे कम्युनिकेशन बंद कर वीडियो क्लासेज जारी कर सकते हैं। आप क्लास का वीडियो बनाकर अपलोड कर दें। इससे पैरेंट्स पर भी बोझ नहीं पड़ेगा और बच्चों को भी रिवीजन करने में आसानी होगी। इसके अलावा नेटवर्क परेशानी से जूझ रहे बच्चों को भी फायदा होगा।
तनाव में न आएं बच्चे
- ऑनलाइन क्लासेज कर रहे कई स्टूडेंट्स अपने प्रदर्शन और शिक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स बच्चों को तनाव से दूर रहने की सलाह देते हैं, क्योंकि डिप्रेशन का सबसे आम कारण स्ट्रेस है। डॉक्टर विजयवर्गीय ने कहा कि हम स्ट्रेस से बचे सकते हैं, लेकिन डिप्रेशन बीमारी है और इसके बाद इलाज ही एक रास्ता है।
- डॉ. ठक्कर कहते हैं कि प्रेशर की वजह से हो रहा नुकसान एजुकेशन लॉस से ज्यादा बड़ा है। क्योंकि अगर आप पढ़ाई में पीछे हो गए हैं तो आप उसे कवर कर सकते हैं, लेकिन अगर आप प्रेशर में आ रहे हैं तो स्वास्थ्य परेशानी हो सकती है।
- डॉ. ठक्कर कहते हैं कि "पैरेंट्स को बच्चों को सिखाना चाहिए कि बुरे हालात में हमें चीजों को समझना पड़ता है। नई पीढ़ी ने पढ़ाई को लेकर पहले की तरह बुरे हालात नहीं देखे हैं। उन्हें जितना मिल रहा है उन्हें उसकी भी कीमत नहीं है। बच्चों को बताएं कि कभी-कभी हालात हमारे काबू में नहीं होते हैं ऐसे में बुरे वक्त में भी हम इसका फायदा कैसे उठा सकते हैं।"
ऑनलाइन एजुकेशन मतलब ज्यादा स्क्रीन टाइम
पहले ही मोबाइल और लैपटॉप पर ज्यादा वक्त बिताने वाले छात्र अब और ज्यादा स्क्रीन के संपर्क में आने लगे हैं। ऐसे में आंखों का ख्याल रखना भी जरूरी है। रामकृष्ण परमार्थ फाउंडेशन मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर और डॉ. वसुधा डामले गैरजरूरी स्क्रीन टाइम में कटौती करने की सलाह भी देती हैं, क्योंकि जितना ज्यादा स्क्रीन टाइम उतनी ज्यादा दिक्कत।
- इरिटेशन: लगातार कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन पर काम या मूवी-गेम्स के कारण इरिटेशन की समस्या भी होती है। इस दौरान व्यक्ति को आंखों की मदद से कोई भी काम करने में असुविधा होती है। इसका कारण और भी कई बीमारियां हो सकती हैं।
- ड्राइनेस: डॉक्टर्स बताते हैं कि गर्मियों में ड्राइनेस आम परेशानी है। ड्राइनेस का मुख्य कारण है आंख में तरल या लुब्रिकेंट की कमी होना। ड्राइनेस ज्यादा बढ़ने पर मेडिकल एक्सपर्ट की सलाह लें। डॉक्टर रमनानी के अनुसार, इसका इलाज बेहद ही सामान्य है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर आपको ड्रॉप्स दे देंगे, जिसकी वजह से आंखें सूखेंगी नहीं।
- रेडनेस: इस दौरान आपकी आंखों में रेडनेस और खुजली भी हो सकती है। हालांकि एलर्जी और इंफेक्शन जैसे कई कारणों के कारण आंखों में रेडनेस की परेशानी हो सकती है।
- आंखों से पानी आना: आंखों में से पानी आने के कारण भी एलर्जी, इंफेक्शन, चोट हो सकते हैं। लगातार स्क्रीन पर काम करने के कारण आंखों से पानी आने की परेशानी हो सकती है।
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