अयोध्या को पूरी दुनिया में राम के नाम से जाना जाता है। मगर दक्षिण कोरिया के करीब 60 लाख लोग यानी इस देश की करीब 10% आबादी अयोध्या को अपनी नानी का घर मानता है। अयोध्या या भारत के इतिहास में भले इसका जिक्र न हो, मगर दक्षिण कोरिया के कारक राजवंश का मानना है कि यह राजवंश शुरू करने वाली रानी हौ ह्वांग-ओक अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्ना थीं।
हर साल द. कोरिया से 100 से ज्यादा लोगों का दल अयोध्या अपने इसी इतिहास को संजोने भी आता है। फिलहाल भले ही अयोध्या राममंदिर के भूमिपूजन की सरगर्मियों में डूबा हो, मगर साथ ही यहां 21.92 करोड़ की लागत से क्वीन हौ का मेमोरियल पार्क भी पूरा होने को है।
राम मंदिर निर्माण के बाद दक्षिण कोरिया को दिया जा सकता है आमंत्रण
उम्मीद की जा रही थी कि राममंदिर के भूमिपूजन में भी क्वीन हौ के वंशजों को न्यौता दिया जाएगा, मगर कोरोना के चलते अभी यह संभव नहीं हो पाया। माना जा रहा है कि मंदिर निर्माण के बाद उद्घाटन में जरूर दक्षिण कोरियाई प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रण दिया जाएगा।
क्वीन हौ के नाम से ही बना कोरिया का कारक राजवंश
दक्षिण कोरिया की प्राचीन किंवदंतियों की किताब सामगुक-यूसा के मुताबिक करीब दो हजार साल पहले अयोध्या के राजा को दैवीय सपना आया कि उनकी पुत्री राजकुमारी सूरीरत्ना का विवाह दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के राजा किम सूरो से होगा। उन्होंने 16 वर्षीय राजकुमारी को समुद्र मार्ग से कोरिया भेजा।
दो माह के बाद राजकुमारी किमहये शहर पहुंचीं। यहां राजा से उनका विवाह हुआ। कोरिया में बच्चे पिता के वंशनाम को आगे बढ़ाते हैं, इस प्रथा से रानी हौ दुखी हुईं तो राजा ने नई प्रथा शुरू की। रानी हौ के बच्चों ने उनका ही वंशनाम आगे बढ़ाया। यही वंश कारक राजवंश बना।
माना जाता है कि इस राजवंश के आज कोरिया में 60 लाख वंशज हैं, जिनमें कई राष्ट्रपति पद पर भी रह चुके हैं। रानी हौ की कथा की सत्यता का तो कोई प्रमाण नहीं, मगर उनके वंशज आज भी उनके घर यानी अयोध्या को नानी का घर मानते हैं।
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