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समझा नहीं पाए कार्यकर्ता, 2 साल में सिर्फ 5 पुरुषों ने कराई नसबंदी

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर मैदानी कार्यक्रम पिछड़ रहे हैं। आदिवासी तहसील भीकनगांव में स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने कार्यक्रमों से लोगों को समझाइश देकर नसबंदी के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण परिवार कल्याण कार्यक्रम में तय लक्ष्य से पिछड़ते जा रहे हैं।
पिछले 2 सालों में स्वास्थ्य दल सिर्फ 3 लोगों को ही नसबंदी के लिए तैयार कर पाए हैं। जबकि इतने ही समय में 1521 महिलाओं ने नसबंदी कराई। 2 साल में 2664 के लक्ष्य की तुलना में कुल 1534 ऑपरेशन हुए। जबकि 0.19 प्रतिशत पुरुषों ने ही नसबंदी कराई। पुरुषाें के नसबंदी न कराने के पीछे स्वास्थ्य विभाग जागरूकता की कमी को मान रहा है। उनका कहना है पुरुष घरेलू व बाहरी कामकाज करते हैं। खासकर जोखिम के काम भी शामिल है। उनकी सेहत पर कोई असर न हो इसलिए महिलाओं को ही नसबंदी करा लेने संबंधी धारणा बनी हुई है। सामाजिक स्तर पर भी रचनात्मक कार्यक्रम नहीं चलाए जा रहे हैं, जिससे कि इस स्थिति में बदलाव लाया जा सके। कोरोना की वजह से इस साल 7 माह तक नसबंदी शिविर नही लग पाए। अभी करीब 4 माह बाकी है। शिविर लगाकर लक्ष्य प्राप्ति के पूरे प्रयास किए जाएंगे।

लॉकडाउन खत्म होने के बाद बढ़ी दर
सरकारी अस्पतालों को हर साल नसबंदी का टारगेट दिया जाता है। भीकनगांव ब्लॉक को पिछले 2019-20 में 1332 नसबंदी का टारगेट मिला था। ब्लाक में नसबंदी लक्ष्य का करीब 96.74% टारगेट पूरा किया था। इससाल कोरोना की वजह से 22 मार्च के बाद लॉकडाउन की अवधि में 34 नसबंदी ऑपरेशन हो पाए। उसके बाद 1 पुरुष व कुल 245 महिलाओं ने नसबंदी कराई।

दोगुना है पुरुषों को प्रोत्साहन राशि
शासन स्तर पर पुरुषों को नसबंदी कराने पर 3000 रुपए व महिलाओ को नसबंदी कराने पर इससे आधी राशि 2000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। ज्यादा प्रोत्साहन के बावजूद पुरुष नसबंदी के आंकड़े महिलाओं की तुलना में शर्मनाक है।

लक्ष्य से पिछड़ते आंकड़े
वर्ष लक्ष्य महिला पुरुष

2019-20 1332 1276 2
2020-21 1332 245 1

जिले में सिर्फ 2 ही डॉक्टर
पूरे जिले में 2 चिकित्सक डॉ. विनय वास्कले व डॉ. महेंद्र बड़ोले ही नसबंदी ऑपरेशन कर रहे हैं। विशेष परिस्थितियों में इंदौर से सर्जन डॉ हेमंत कंसल को बुलाया जाता है।

^महिला-पुरुष दोनों को ही नसबंदी के लिए प्रेरित करते हैं। प्रयासों के बावजूद पुरुषों की संख्या नही के बराबर है।
डॉ मनोज निराले, बीएमओ भीकनगांव



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Workers unable to explain, only 5 men underwent sterilization in 2 years


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